शिव चालीसा - जय गिरिजा पति दीन दयाला । सदा करत सन्तन प्रतिपाला.
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। यहि अवसर मोहि आन उबारो॥
स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु मम संकट भारी॥
ईश्वर ने मेरे भाग्य में क्या लिखा है - प्रेरक कहानी
आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥
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अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन छार लगाये॥
शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न विनाशन॥
माता-पिता भ्राता सब होई। संकट में पूछत नहिं कोई॥
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अंग गौर शिर shiv chalisa in hindi गंग बहाये। मुण्डमाल तन क्षार लगाए॥
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देख नाग मुनि मोहे॥
कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥
तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥
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